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Ganesh chaturthi: कब है गणेश चतुर्थी, क्या है गणपति पूजन का शुभ मुहूर्त आइए जानिए

Ganesh chaturthi: कब है गणेश चतुर्थी, क्या है गणपति पूजन का शुभ मुहूर्त आइए जानिए


एकदंत लंबोदर विघ्नहर्ता श्रीगणेश का जन्मदिवस 2 सितंबर को है. देवताओं में अग्रपूज्य रिद्धि-सिद्धी
एकदंत लंबोदर विघ्नहर्ता श्रीगणेश का जन्मदिवस 2 सितंबर को है. देवताओं में अग्रपूज्य रिद्धि-सिद्धी

  • एकदंत लंबोदर विघ्नहर्ता श्रीगणेश का जन्मदिवस 2 सितंबर को है. देवताओं में अग्रपूज्य रिद्धि-सिद्धी दाता गजानन की कृपा हम सब पर बनी रहे, इसलिए भाद्रपद शुक्लपक्ष की गणेश चतुर्थी पर गणेश झांकी लगाई जाती है. पूजा अर्चना स्थापना की जाती है. विद्या अध्ययन की शुरूआत की जाती है. इस बार गणेश चतुर्थी पर श्रेष्ठ मुहूर्त के बारे में बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य पंडित अरुणेश कुमार शर्मा.
               
गणेश चतुर्थी को दिन में अपराह्न 3 बजकर 15 मिनट से पहले गणेश विग्रह की विधिवत स्थापना कर लें
गणेश चतुर्थी को दिन में अपराह्न 3 बजकर 15 मिनट से पहले गणेश विग्रह की विधिवत स्थापना कर लें
  • गणेश चतुर्थी को दिन में अपराह्न 3 बजकर 15 मिनट से पहले गणेश विग्रह की विधिवत स्थापना कर लें. इसके उपरांत भद्रा लग जाएगी. भद्रा रात्रि 1 बजकर 53 मिनट तक रहेगी.
                                             
दोपहर में अभिजित मुहूर्त गणेश पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ है. इसका समय 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 36 मिनट तक है
दोपहर में अभिजित मुहूर्त गणेश पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ है. इसका समय 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 36 मिनट तक है
  • दोपहर में अभिजित मुहूर्त गणेश पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ है. इसका समय 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 36 मिनट तक है. सपरिवार भगवान विनायक के विग्रह का षोडशोपचार से पूजन करें. मोदकों का भोग लगाएं. पट्टी-पुस्तक का पूजन करें. तत्पश्चात् सौभाग्यवती माताएं हरितालिका व्रत और गणेश चतुर्थी के व्रत को पूर्ण करें.
                             
विनायक चतुर्थी भोर में 4 बजकर 56 मिनट पर आरंभ होकर रात्रि 1 बजकर 53 मिनट तक रहेगी
विनायक चतुर्थी भोर में 4 बजकर 56 मिनट पर आरंभ होकर रात्रि 1 बजकर 53 मिनट तक रहेगी
  • विनायक चतुर्थी भोर में 4 बजकर 56 मिनट पर आरंभ होकर रात्रि 1 बजकर 53 मिनट तक रहेगी. जो व्रती प्रत्येक विनायक और संकष्टी चतुर्थी के व्रत रखते हैं. वे गणेश चतुर्थी का व्रत अगले दिन पूर्ण कर सकते हैं. चंद्रदर्शन और पूजन इस दिन निषिद्ध रहता है. ऐसे में वे व्रत को दोपहर की पूजा के बाद भी पूर्ण कर सकते हैं.
                                 
यह एकमात्र ऐसी चतुर्थी होती है जिसमें चंद्रमा को अघ्र्य देने और दर्शन करने से बचा जाता है. गणेश चतुर्थी को चंद्रदर्शन अकारण के आरोप और आक्षेप लगने का कारक माना जाता है
यह एकमात्र ऐसी चतुर्थी होती है जिसमें चंद्रमा को अघ्र्य देने और दर्शन करने से बचा जाता है. गणेश चतुर्थी को चंद्रदर्शन अकारण के आरोप और आक्षेप लगने का कारक माना जाता है
  • यह एकमात्र ऐसी चतुर्थी होती है जिसमें चंद्रमा को अघ्र्य देने और दर्शन करने से बचा जाता है. गणेश चतुर्थी को चंद्रदर्शन अकारण के आरोप और आक्षेप लगने का कारक माना जाता है. जानबूझकर चंद्रदर्शन से बचें. भूलवश देख लें तो एक छोटी सी कंकरी उठाकर दूर फेंक दें. इससे दोष का परिहार हो जाएगा.
सबसे कठिनव्रतों में से एक हरितालिका व्रत के अगले दिन गणेश चैथ आती है. श्रेष्ठ संतान और परिवार के सुख के लिए माताएं हरितालिका व्रत में निराहार निर्जला रहती हैं
सबसे कठिनव्रतों में से एक हरितालिका व्रत के अगले दिन गणेश चैथ आती है. श्रेष्ठ संतान और परिवार के सुख के लिए माताएं हरितालिका व्रत में निराहार निर्जला रहती हैं

सबसे कठिनव्रतों में से एक हरितालिका व्रत के अगले दिन गणेश चैथ आती है. श्रेष्ठ संतान और परिवार के सुख के लिए माताएं हरितालिका व्रत में निराहार निर्जला रहती हैं. रात्रि में जागरण और पार्वती-महादेव की पूजा करती हैं. ब्रह्म मुहूर्त में शिव-गौरी की आरती पूजन और विसर्जन कर गणेश पूजन की तैयारी करती हैं.

 तैयारी करती हैं.
Ganesh chaturthi: कब है गणेश चतुर्थी, क्या है गणपति पूजन का शुभ मुहूर्त आइए जानिए Ganesh chaturthi: कब है गणेश चतुर्थी, क्या है गणपति पूजन का शुभ मुहूर्त आइए जानिए Reviewed by devkant marskole on September 01, 2019 Rating: 5

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